पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद का निधन।
पूर्वांचल का मजबूत स्तंभ ढहा, ये है इस शख्सियत की पूरी स्टोरी
✍️इन्द्रजीत सिंह मौर्य / मोहम्मद अरशद
जौनपुर । अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री माता प्रसाद का मंगलवार की देर रात पीजीआई लखनऊ में निधन हो गया । वह लगभग 97 वर्ष के थे। जौनपुर जिले के मछलीशहर तहसील क्षेत्र के कजियाना मोहल्ले में 11 अक्टूबर 1924 को जगरूप राम के पुत्र के रूप में जन्मे माता प्रसाद 1942 - 43 में मछलीशहर से हिंदी - उर्दू में मिडिल परीक्षा पास की । गोरखपुर के नॉर्मल स्कूल से ट्रेनिंग के बाद जिले के मड़ियाहूं ब्लाक क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल बेलवा में सहायक अध्यापक के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने गोविंद , विशारद के अलावा हिंदी साहित्य की परीक्षा पास की। अध्यापन काल में ही ये लोकगीत लिखना और गाना इनका शौक हो गया था । इनकी कार्य कुशलता को देखते हुए ते हुए इन्हें 1955 में जिला कांग्रेश कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया गया।
राजनीति में स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम को अपना आदर्श मानने वाले माता प्रसाद जिले के शाहगंज ( सुरक्षित ) विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर 1957 से 1974 तक लगातार पांच बार विधायक रहे । 1980 से 1992 तक 12 वर्ष तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इन्हें अपने मंत्रिमंडल में 1988 से 89 तक राजस्व मंत्री बनाया था । देश की नरसिंह राव सरकार ने 21 अक्टूबर 1993 को इन्हें अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया और 31 मई 1999 तक ये राज्यपाल रहे। राज्यपाल पद पर रहते हुए श्री प्रसाद को तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पद छोड़ने को कहा तो उन्होंने दरकिनार कर दिया था।
सादगी की प्रतिमूर्ति रहे माता प्रसाद ने राजनेताओं को आईना दिखाया है आज के दौर में जहां एक बार विधायक या मंत्री बनते ही नेतागण गाड़ी बंगले के साथ लाखों-करोड़ों में खेलने लगते हैं वही पांच बार विधायक , दो बार एमएलसी , नारायण दत्त तिवारी के मुख्यमंत्री काल में उत्तरप्रदेश के राजस्व मंत्री और राज्यपाल रहे माता प्रसाद पैदल या रिक्शे पर बैठे बाजार से सामान खरीदते देखे जाते थे। पैदल चलना उनकी हावी थी।
साहित्यकार के रूप में थी उनकी ख्याति।
जौनपुर। पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद एक साहित्यकार के रूप में भी जाने जाते रहे उन्होंने एकलव्य खंडकाव्य , भीम शतक प्रबंध काव्य , राजनीत की अर्थ सतसई, परिचय सतसई, दिग्विजयी रावण जैसी काव्य कृतियों की रचना ही नहीं की वरन अछूत का बेटा , धर्म के नाम पर धोखा , वीरांगना झलकारी बाई , वीरांगना उदा देवी पासी , तड़प मुक्ति की , धर्म परिवर्तन प्रतिशोध , जातियों का जंजाल , अंतहीन बेड़ियां , दिल्ली की गद्दी पर खुसरो भंगी जैसे नाटक भी रचे। इसके साथ ही राज्यपाल रहते उन्होंने मनोरम अरुणाचल पूर्वोत्तर भारत के राज्य , झोपड़ी से राजभवन आदि उल्लेखनीय कृतियां लिखी हैं। पूर्व राज्यपाल की तमाम कृतियां शासन स्तर से पुरस्कृत भी हो चुके हैं।
जब बने राजस्व मंत्री तो बाजार से खरीद रहे थे सब्जी।
जौनपुर। जौनपुर जनपद के शाहगंज विधानसभा से कांग्रेस के कार्यकाल में पांच बार विधायक रहे माता प्रसाद को नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री काल में जब राजस्व मंत्री बनाने की घोषणा हुई, तो वह उस समय जौनपुर शहर के पुरानी सब्जी मंडी से सब्जी खरीद रहे थे । उधर शासन से घोषणा होते ही उनके कचहरी स्थित आवास पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद हो गई। फिर आनन-फानन में उन्हें जब मालूम हुआ तो बधाई देने वाले शुभचिंतकों का उनके घर मेला लग गया। पूर्व राज्यपाल के तीन पुत्र थे, सबसे छोटे पुत्र जौनपुर दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता कर्मवीर भारती ने इस प्रतिनिधि से बताया कि पिताजी इधर काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। लखनऊ में ही उनका उपचार कराया जा रहा था।
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