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विलुप्त होती जा रही हैं, कालोनी बनाकर रहने वाली बुनकर गौरैया


विलुप्त होती जा रही हैं, कालोनी बनाकर रहने वाली बुनकर गौरैया

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई होने से इन पक्षियों का खत्म हो रहा आशियाना


पेड़ से लटका हुआ घोंसला बेहतरीन कारीगरी का नमूना

घोंसले की बनावट होती है जटिल, लौकी की तरह दिखने वाले घोंसले में निकासी भाग होता है सकरा


✍️प्रणय तिवारी

जौनपुर। जंगलों,तालाबों,नदी व झील आदि के किनारे खेतों के पास बबूल या कांटेदार पेड़ों पर लटका  घोंसला अब कम ही देखने को मिलता है। पेड़ों पर कालोनी बनाकर रहने वाली बुनकर गौरैया पेड़ों की अंधाधुंध कटान के चलते विलुप्त होती जा रही हैं।
लगभग सभी पक्षी अपने अंडे और बच्चों को रखने के लिए घोंसला बनाते हैं, हर प्रजाति के पक्षी अलग अलग प्रकार के घोंसलें बनाते है, सभी पक्षियों के घोंसले में बया पक्षी का घोसला सबसे अनोखा होता है, इसे बुनकर पक्षी भी कहा जाता है, बया पक्षी का यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह छोटे-छोटे घांस के तिनकों और पत्तियों से बुनकर लालटेन की तरह लटकता हुआ अनोखा घोंसला तैयार करते हैं, अलग अलग प्रजाति की बया पक्षी अलग-अलग आकार के घोसले बनाती हैं, बया पक्षी अपना घोंसला बनाने के लिए कांटेदार पेड़ों और ऐसे पेड़ों को चुनते हैं जो कि नदी के किनारे या झील और तालाबों के किनारे खेतों के पास होते हैं, बया पक्षी के अनोखे घोसले का आकार एक फुटबॉल के बराबर होता है|बया एक सामाजिक पक्षी है इसलिए एक पेड़ पर क‌ई पक्षियों के घोंसले तक देखने को मिल जाते हैं, बया पक्षी की एक कॉलोनी में दर्जनों से अधिक घोसले पाए जाते हैं जो पानी के पास स्थित पेड़ों पर बनाए जाते हैं।
इस घोसले में अंडों को रखने के लिए एक बड़ा गोलाकार स्थान होता है तथा नीचे की ओर एक ट्यूब की तरह निकलने का रास्ता होता है, बया पक्षी इस घोसले को पत्तियों और घांस के लम्बे तिनकों को लाकर अपनी चोंच से तिनकों और लंबी घास को आपस में बुन देता है, बया अक्सर अपना घोंसला पेड़ के पूर्वी दिशा में बनाना पसंद करता है, बया के घोसले को छोड़ देने के बाद भी यह घोषणा नष्ट नहीं होता है इसे दूसरे पक्षियों के द्वारा उपयोग कर लिया जाता है।
मुंबई निवासी लोको पायलट अनिल बरनवाल ने बताया कि मुम्बई में गांव देहात के लोग घोंसलों को बेंच देते हैं।जिसे लोग बर्तन आदि मांजने के लिए खरीदते हैं।

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