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दहेज़ मांगने वालों को निकाह न पढ़ाए उलेमा : मौलाना राफ़े


धर्मगुरू ने वैवाहिक जोड़े को आशीर्वाद देने के बाद मीडिया से की वार्ता |


बिना दहेज़ और बारात के बगैर शादी बनी आकर्षण का केंद्र |


✍️यूसुफ खान/मोहम्मद अरशद
खेतासराय। जौनपुर 
              मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना राफ़े ने कहा कि बारात शब्द न तो कुरान में और न ही हदीस में है। बारात ले जाने वाले लोग सीधे मुजरिम हैं।दहेज मांगने वाले लोगों का उलेमा उनका निकाह कदापि न पढ़ाए, वे समाज के दुश्मन है। ऐसे लोगों का बहिष्कार बेहद जरूरी होना चाहिए। कोई भी धर्म यह इजाज़त नही देता की किसी भी बच्ची को दहेज के नाम पर सताया जाए।
           वह शनिवार को  खेतासराय क्षेत्र के  जमदहां गांव में राष्ट्रीय मानवाधिकार व महिला बाल विकास भारत के प्रदेश उपाध्यक्ष ख़ुर्शीद अहमद की बेटी की शादी में वैवाहिक जोड़े को आशीर्वाद देने आए थे। मौजूद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मौलाना ने कहा कि
      दोनों परिवारों को सामर्थ होने के बावजूद भी यह दहेज़ रहित विवाह किया गया  है। उनकी जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है। शादी को सादगी से करनी चाहिए, बेटिया अल्लाह की रहमत है।
उन्होंने कहा कि दो सौ, तीन सौ बारात ले जाने वाले लोग बराती नही है, पूरे कम्यूनिटी के दुश्मन होते हैं, ये सिर्फ़ लोगों का नुकसान पहुँचाते है।दहेज का लेना और देना शरअन हराम है।
धर्मगुरु मौलाना राफ़े ने उलेमाओं से अपील करते हुए कहा कि जो दहेज के लिए बच्चियों को सताता है,वो दूल्हा नही मुज़रिम है।ऐसे लोगों का निकाह कतई न पढ़ाए।

इस मौके पर प्रमुख रूप से आजमगढ़ के प्रसिद्ध समाजसेवी शेख सलाहुद्दीन, मौलाना अनवार कासमी,शहाबुद्दीन,हाजी जियाउद्दीन आदि लोग मौजूद रहे।





सैकड़ों  बेसहारा बेटियों के हाथ पीला कर चुके है शेख सलाहुद्दीन |


खेतासराय।
             जौनपुर आजमगढ़ बॉर्डर पर स्थित  दीदारगंज जनपद आजमगढ़ निवासी प्रख्यात समाजसेवी उधोगपति शेख सलाहुद्दीन ने बताया कि अब तक उन्होंने 40 सालों से सैकड़ों  बेटियों की शादी ,बेसहारा लोगों की मदद किया है।  दहेज रहित शादी की शुरुआत अपने घर से की है,बेटिया रहमत हैं उन्हें बोझ नही समझना चाहिए । अपने बेटे शेख फ़रहान की शादी उन्होंने जमदहा गांव में बिना दहेज़ और किसी रसम के बगैर की। अनोखी शादी में धर्मगुरु सहित चुनिंदा लोग शामिल रहे।  दहेज रहित शादी की लोग तारीफ़ करते दिखे।

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