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पुरानी पेंशन लागू करना राज्य का एकाधिकार है, डॉ प्रदीप सिंह

पुरानी पेंशन लागू करना राज्य का एकाधिकार है,  डॉ प्रदीप सिंह

सपा सुप्रीमो के बयान से लाखों कर्मचारियों शिक्षकों के भविष्य की जगी उम्मीद
✍️संवाददाता-मोहम्मद अरशद

जौनपुर। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद संघर्ष समिति  के चेयरमैन व उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत अधिकारी संघ के जिलाध्यक्ष डॉ प्रदीप सिंह ने अवगत कराया कि कल लखनऊ में मुख्य विपक्षी दल के अगुआ एवं  पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद एवं अटेवा के प्रदेश नेतृत्व की उपस्थिति में कर्मचारियों की बहुप्रतीक्षित मांग पुरानी पेंशन योजना की बहाली किए जाने की घोषणा से सुबह के लाखों कर्मचारियों में उत्साह है। 
डॉ प्रदीप सिंह ने शहर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के मुखिया ने जिस प्रकार से 2022 के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद इसे तुरंत लागू करने की घोषणा किया है उससे प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों में उत्साह का नवसंचरण हुआ है।
सपा सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विभिन्न कर्मचारी हितों की मांगों पर सहानुभूति सहित गंभीरतापूर्वक विचार करके अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने तथा सरकार बनने पर उस पर अमल करने की बात खुले मंच से प्रेसवार्ता में कही गयी है।

इससे जनपद सहित पूरे प्रदेश हालांकि अभी सत्ताधारी दल एवं विपक्षी दल दोनों का लिखित चुनावी घोषणा पत्र जारी नहीं हुआ है। ऐसे में कर्मचारी समाज तुलनात्मक रूप से कर्मचारी हितैषी घोषणा पत्र को अंगीकार करते हुए प्रथम चरण से ही विधानसभा के चुनाव में अपने मतदान का रुख तय करेगा। 
कर्मचारी एवं शिक्षकों द्वारा विगत 16 वर्षों से पुरानी पेंशन बहाली हेतु अनवरत संघर्ष जारी है तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी 17 दिसंबर 1982 को सरकार को एक फैसला सुनाया था कि पेंशन कोई खैरात या बख्शीश नहीं है।
 यह रोजगारदाता के तौर पर कर्मचारियों की तरफ से निभाई गयी सेवाओं का प्रतिफल है। पुरानी पेंशन लागू करना राज्य का एकाधिकार है तथा पीएफआरडीए किसी भी राज्य सरकार को पुरानी व्यवस्था बनाए रखने की स्वतंत्रता प्रदान करता है जिसके बारे में केंद्र ने स्पष्ट भी किया है और पश्चिम बंगाल पूरे भारत में सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां आज भी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू है।
जौनपुर के बड़े दमखम वाले कर्मचारी नेता डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि पुनः पुरानी व्यवस्था लागू कर शिक्षकों एवं कर्मचारियों को सामाजिक,आर्थिक व स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाए लेकिन साथ ही अफसोस भी जताया कि कर्मचारियों के पेंशन की याद पार्टियों को सत्ता से बाहर होने पर ही आती है।
जबकि विधायकों एवं सांसदों के एक दिन के लिए भी निर्वाचित होने के बाद आजीवन मिलने वाली गुणक पेंशन, कर्मचारियों के साथ छलावा एवं संविधान प्रदत्त अधिकारों का दुरुपयोग है। तथा वन नेशन वन पेंशन की अवधारणा के भी बिल्कुल विपरीत है। अब पुरानी पेंशन की बहाली प्रदेश के 16 लाख शिक्षक कर्मचारियों के अस्तित्व का प्रश्न है,जो अब यक्ष प्रश्न बनकर राजनीतिक दलों के समक्ष मुंह बाये खड़ा है। राजनीतिक दलों का पुरानी पेंशन के संदर्भ में भविष्य का घोषणा पत्र उन की दिशा और दशा तय करेगा।

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