नारायण ही लक्ष्मीपति थे, है और रहेंगे : पं. अखिलेश मिश्र
पोरईखुर्द मे आयोजित श्रीमदभागवत कथा का छठा दिन
✍️ यूसुफ खान/ मोहम्मद अरशद
खेतासराय(जौनपुर)। क्षेत्र के पोरई खुर्द के रामलीला परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत के षष्ठ दिवस की कथा में गुरुवार को कथा व्यास पं. अखिलेश चन्द्र मिश्र नें महारास का पावन प्रसंग सुनाते हुए ये बताया कि महारास स्त्री पुरूष का मिलन न होकर जीव का परमात्मा के चरणों मे प्रेम ही महारास के नाम से परिभाषित है। कंस के अत्याचार से दुःखी पृथ्वी और सन्त महात्माओ के कल्याणार्थ भगवान कृष्ण ने ग्यारह वर्ष की अवस्था मे कंस सहित अनेक दुष्ट राक्षसों का उद्धार किया। श्री मिश्र ने उद्धव गोपी संवाद के क्रम में भ्रमर गीत का बड़ा ही कारुणिक प्रसंग सुनाया जिसे सुनकर श्रोताओं की दीर्घा में उपस्थित लोगों के नेत्र पुलकित हो गए।रुक्मिणी विवाह का बड़ा ही भव्य स्वरूप दिखाई दिया ।व्यास जी यह भी बताया कि रुक्मिणी जी साक्षात लक्ष्मी हैं, लक्ष्मीपति नारायण ही थे वही हैं और वही रहेंगे । इसलिए जो लक्ष्मीपति बनना चाहेगा उसे शिशुपाल की तरह रोना ही पड़ेगा । मुख्य यजमान श्याम सुंदर पाण्डेय ने पूजन किया।कार्यक्रम का संचालन सन्तोष कुमार सिंह ने किया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से वरिष्ठ पत्रकार डॉ कुँवर यशवन्त सिंह,प्रवीण सिंह,वैभव सिंह,ओम प्रकाश सिंह, कमला सिंह,भानुप्रताप सिंह,अवधेश सिंह अखिलेश मिश्रा अजय मिश्र प्रदीप मिश्र एडवोकेट,कृपाशंकर मिश्र, गणेश , महेश यादव ,बेले बिन्द आदि उपस्थित रहे।
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