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कोलकाता में मेडिकल छात्रा से दुष्कर्म और हत्या के विरोध में सड़क पर उतरे डाक्टर

कोलकाता में मेडिकल छात्रा से दुष्कर्म और हत्या के विरोध में सड़क पर उतरे डाक्टर

डॉक्टरों ने बंद की ओपीडी, आपात सेवा रही चालू ,मरीजों को हुई सांसत

नौशाद मंसूरी✍️

शाहगंज(जौनपुर)। पश्चिम बंगाल के कोलकाता सिटी में स्थित आर जी कर मेडिकल कालेज और अस्पताल में मेडिकल की पीजी की छात्रा के साथ हुई बीती दिनों दुष्कर्म और निर्मम हत्या से आक्रोशित देश भर के डाक्टर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।और इसकी आग धीरे धीरे पूरे देश से होते हुए शाहगंज तक पहुँच गयी।

शनिवार की दोपहर आईएमए के 24 घण्टे के बंद के आह्वान पर शाहगंज इकाई के अध्यक्ष डाक्टर एसएल गुप्ता के नेतृत्व में नगर के सभी डाक्टर और मेडिकल स्टाफ नगर के रामलीला भवन चौराहा पर इकट्ठा हुए और वहां से न्याय यात्रा निकाला।न्याय यात्रा रामलीला भवन चौराहा से होते हुए कोतवाली चौराहा, मेन रोड, जेसीज चौक,रोडवेज होते हुए तहसील परिसर पहुँचा जहां दर्जनों चिकित्सकों सहित सैकड़ो मेडिकल स्टाफों ने जिलाधिकारी को सम्बोधित एसडीएम राजेश कुमार चौरसिया को ज्ञापन सौंपा।
आईएमए शाहगंज इकाई के अध्यक्ष डाक्टर एसएल गुप्ता ने बताया की कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कालेज की छात्रा के साथ हुई घटना से पूरा देश मर्माहत है।सरकार दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दे ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
डाक्टर देवी प्रसाद पुष्पजीवी ने कहा की जब मेडिकल कालेज जैसे स्थानों पर मेडिकल की छात्रा सुरक्षित नही है ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है की आम लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे होगी।
सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा हेतु कड़े कानून बनाये ताकि डाक्टर अपनी सुरक्षा से निश्चिन्त होकर अपनी सेवाएं दे सके।और महिला सुरक्षा कानून में संसोधन कर उसे और कठोर बनाया जाय।

उक्त मौके पर सेक्रेटरी डाक्टर सुधाकर मिश्रा, सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के अधीक्षक डाक्टर रफीक फारूकी, डाक्टर अभिषेक रावत,डाक्टर जावेद अहमद, डाक्टर महफूज़,डाक्टर अबुफैसल, डाक्टर महेंद्र यादव, डाक्टर मो. सालेह, डाक्टर रूचि मिश्रा,डाक्टर जेपी दुबे, डाक्टर फारूक अरशद, डाक्टर ज्ञान चन, डाक्टर सौरभ जायसवाल,डाक्टर नैय्यरे आज़म, डाक्टर मौलश्री चित्रवंशी, डाक्टर आरके वर्मा, डाक्टर सुधांशु, डाक्टर हिमांशु चित्रवंशी सहित अन्य मेडिकल स्टाफ और डाक्टर मौजूद रहे।
न्याय यात्रा के दौरान नगर के सभी अस्पतालों में ओपीडी पूरी तरह से बंद रही जिससे मरीजों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

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