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तैयारियां पूरी, 11 को पंचमुखेश्वर महादेव की निकलेगी बारात- दूल्हा बन करेंगे नगर भ्रमण

तैयारियां पूरी, 11 को पंचमुखेश्वर महादेव की निकलेगी बारात- दूल्हा बन करेंगे नगर भ्रमण 

सूरापुर वीर शैव तंत्र साधना सिद्ध पीठ प्राचीन पंचमुखेश्वर महादेव मंदिर भवानीपुर 
इंसेट- पंचमुखी शिव लिंग



✍️प्रणय तिवारी

शाहंगज (जौनपुर )सदियों पुराने अतिप्राचीन वीर शैव तंत्र साधना सिद्ध पीठ पंचमुखेश्वर महादेव मंदिर भवानीपुर का परिक्षेत्र शिव मय हो गया है। शिव भक्त महादेव को दूल्हा रूप में नगर भ्रमण कराने के लिए जोर- शोर से जुट गये हैं।
हाथी, घोड़ा, रथ,डीजे, ढोल- ताशा के साथ निकलने वाले शिव बारात में दूर-दूर से हजारों शिव भक्त महिलाएँ, बच्चे व पुरुष शामिल होते हैं।
शिव बारात में शामिल भक्तों के लिए बाजार में जगह- जगह फलाहार, ठंडई व प्रसाद का वितरण करने के लिए व्यवसायियों में उत्साह बना हुआ है। बाजार की महिलाएँ भोलेनाथ की आरती कर पुष्प वर्षा करेंगी।
शाम को भंडारे में महाप्रसाद वितरण की व्यवस्था शाम पांच बजे से देर रात तक रहेगी।
सुबह पांच बजे से बारह बजे तक जलाभिषेक व शाम को 108 दीपों की महाआरती होगी। 





मंदिर की विशेषता-

जौनपुर जिला मुख्यालय से 50 किमी पूरब बलिया- लखनऊ राजमार्ग पर सूरापुर कस्बे के पुरानी बाजार में  स्थित महादेव पंचमुखी शिवाला है। हजारों वर्ष पुराना यह शिव मंदिर अपने आप में बहुत तरह के रहस्य छिपाए हुए है। 
मंदिर के सन्दर्भ में हरिश्चंद घाट काशी के अवधूत उग्र चण्डेश्वर कपाली महाराज बताते हैं कि बौद्ध व जैन दोनों वास्तु कलाओं का समावेश करते हुए यह मंदिर बना है। दीवारों की वृत्तियों पर बौद्ध वास्तु व बौद्ध तंत्र शैली से मिलता-जुलता नमूना है।जैन मंदिरों की तरह मेहराबे व खम्भे जैन वास्तुकला का नमूना है। जो कि भिलवाडा के जैन मंदिरो में यह विशेषता आज भी देखने को मिलती है। 

मूर्तियां पूर्णतः दिगम्बर व फणिधर नागों से अविशेषरित हैं।गणपति की प्रतिमा देखने से लगता है कि यह महोत्कट गणपति की प्रतिमा है।नाग का यज्ञोपवीत धारण किये हुए एक हाथ में फरसा बायें हाथ में पानपात्र दाहिने हाथ में खप्पर धारण किये हुए  खंडित किन्तु दुर्लभ आकृति जो नागों व मूषक के संयुक्त आसन पर बैठे हुए तांत्रिक प्रतिमा होने क प्रमाण हैं।
इसके अलावा प्राचीन प्रतिमाओं में कानों में नागों का कुंडल धारण किए हुए देवी प्रतिमा व भूमानारायण व सप्ताश्वाहन रूद्रातित्य( सूर्यदेव) की दुर्लभ तांत्रिक प्रतिमा विचित्र व दर्शनीय है।




शिवरात्री पर्व पर बोले पुजारी

मंदिर के पुजारी अखिलेश सोनी व संस्कृति विद्यालय आचार्य प्रेम कुमार पाण्डेय बताते हैं कि फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि देवाधिदेव महादेव को समर्पित माना जाता है।धर्म ग्रंथ में यह दिन शिव रात्रि के रूप में विख्यात है। 
इस वर्ष इस पावन पर्व पर सुखद संयोग गुरुवार को मिलेगा।
इस तरह शिव रात्रि में चार पहर की पूजा का विधान है।शिव को गंगा जल व त्रिदल विल्व पत्र अवश्य अर्पित करना चाहिए। इस दिन रूद्राभिषेक एंव रात्रि जागरण का विशेष महत्व है

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