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ग्राम पंचायत चुनाव : जातीय समीकरण पर सज रही है चुनावी बिसात

ग्राम पंचायत चुनाव : जातीय समीकरण पर सज रही है चुनावी बिसात

मतदाताओं को रिझाने में लगे प्रत्याशी

✍️नौशाद मंसूरी
शाहगंज(जौनपुर) जब से ग्राम पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची जारी हुई है तब चुनावी पारा भी गर्म हो चुका है।कुछ प्रत्याशियों के मंसूबों पर पानी भी फिर गया।जो काफी समय से चुनावी तैयारी में लगे थे और आरक्षण सूची आने के बाद उस सांचे में फिट नही बैठ पाए।ऐसे सत्ता का सुख भोगने की लालसा रखने वाले ऐसे प्रत्याशियों की खोज में लग गए जो उनकी महत्त्वकांक्षाओ को पूरा कर सके।और उनके नाम के सहारे अपनी भी नाव चला सके।
ऐसा नजारा विशेष रूप से वहां देखने को मिल रहा है जहां जहां की सीटें सुरक्षित हो गयी हैं।
दूसरी तरफ जिस क्षेत्र की सीटें सामान्य हैं वहां वहां तो चुनावी घमासान कुछ ज्यादा ही है।
फिलहाल इस चुनावी माहौल में जब भास्कर संवाददाता ने कुछ गाँव का दौरा किया तो नज़ारे कुछ अलग ही देखने को मिला।सफेद कुर्ता पैजामा में लकदक प्रत्याशी अभी से मतदाताओं को रिझाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं।माहौल ऐसा है की प्रत्याशी गांव के लोगों के सुख दुख में ऐसे शामिल हो रहे हैं।शादी ब्याह में हर तरह की मदद भी कर रहे हैं।कोई देश प्रदेश है तो उसके आने जाने का पूरा खर्चा भी उठाने के लिए तैयार हैं।बस किसी भी तरह से नेताजी को माननीय बनना है।
एक गांव में तो एक प्रधान प्रत्याशी के शाम को प्रतिदिन दावतों का दौर अभी से चलना शुरू हो गया है।
एक दूसरे गांव में एक प्रधान प्रत्याशी लोगों के राशन कार्ड, वोटरकार्ड, आधारकार्ड आदि समस्याओं को दूर करने के लिए कमर कस लिए हैं।खैर ये सब तो अच्छी बात है की लोगों का दुख दर्द को समझने और उसे दूर करने वाला उनका मुखिया बने ।मगर सोचने वाली बात ये है की जो लगन, मेहनत, संघर्ष प्रत्याशी अभी कर रहे हैं क्या वो चुनावी समर के बाद भी ऐसे ही रहेंगे।अगर ऐसा ही रहे तो बेहतर नही तो गाँव की बागडोर तो रामभरोसे ।दूसरी सबसे बड़ी बात लगभग हर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत क्षेत्रो में चुनावी समीकरण जातीय समीकरण पर ही बिछ रही है।हर प्रत्याशी जातीय जातीय समीकरण के सहारे ही चुनावी वैतरणी पार करने के फिराक में है।

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