तीस वर्ष बाद मिला बिछड़ा इकलौता बेटा
11 नवम्बर 1991 को घर से चला गया था युवक
✍️ इन्द्रजीत सिंह मौर्य/मोहम्मद अरशद
शाहगंज। तीस वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद जब माँ बाप से बिछड़ा उसकी आंखो का तारा बेटा मिला, तो दोनों को जैसे खुद पर हीं नहीं यकीन हो रहा था। यह मामला विकास खण्ड खुटहन स्थित पट्टीनरेन्द्रपुर गांव की सच्ची घटना है।
घटना 11नवम्बर 1991 की है जब उक्त गांव निवासी कृष्ण चन्द तिवारी का 16 वर्षीय पुत्र कृष्ण चन्द तिवारी (गुड्डू) किसी बात को लेकर घर से नाराज होकर कहीं चला गया।
इकलौते पुत्र के घर से नाराज होकर कहीं चले जाने से माता पिता परेशान हो गए। कई वर्षों तक बेटे की तलाश करते रहे। पुलिस में गुमशुदगी दर्ज कराने के बाद मन्दिरों में मत्था टेका,साधू, सन्त के अलावां पण्डितों और तान्त्रिकों के यहां भी फरियाद लेकर गये।
लेकिन चारों तरफ निराशा हीं हाथ आयी।
इधर कृष्ण चन्द घर से निकलकर किसी तरह दिल्ली शहर पहुंच गया। इस दौरान वह मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालने लगा। दिल्ली में हीं आशियाना बनाने का ख्वाब लिए वह जीवन से संघर्ष करते हुए कामयाबी तो हासिल कर ली। अपना निजी मकान तथा खुद का व्यापार चल पड़ा। शादी भी वहीं कर ली, तीन बच्चों का पिता भी बन गया।
आखिरकार समय चक्र के साथ हीं वह अपनी जन्मभूमि व माँ बाप को अपने जीवन की यादों से भुला दिया। एक रात कृष्ण चन्द स्वप्न में पिता की मृत्यु देखता है और बेचैन हो उठता है।
दिल्ली स्थित पड़ोस के मित्र रवि सिंह से सारी बात बताने के बाद कृष्ण चन्द पिता की सुध लेने के लिए उससे कहता है तो उसका मित्र वीर सिंह खुटहन निवासी अपने रिश्तेदार सन्टू सिंह को पट्टीनरेन्द्रपुर भेजकर परिजनों को सारी जानकारी देता है।
बेटे की खबर मिलते हीं बूढे माता-पिता खुशी से झूम उठते हैं। दूसरे दिन पड़ोस के लोग कार से दिल्ली गये और कृष्ण चन्द तिवारी को घर ले आए।
तीस वर्षों से बिछड़े बेटे को देखते हीं मां कृष्णावती और पिता जर्मनी की आंखो से खुशी के आंसू छलक पड़े। भारी संख्या में मौजूद स्थानीय लोगों की आंखें सजल हो उठी।
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