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मिस इंडिया को मिली करारी हार, पंचायत चुनाव में नही लगा ग्लैमर का तड़का

मिस इंडिया को मिली करारी हार, पंचायत चुनाव में नही लगा ग्लैमर का तड़का
 
जिंदगी की यही रीत है, हार के बाद ही जीत है।"
दीक्षा ने इंस्टाग्राम पर किया पोस्ट

गांव को हाइटेक सिटी  बनाने का दीक्षा का सपना रह गया अधूरा
✍️यूसुफ खान/ मोहम्मद अरशद

जौनपुर। गवई राजनीत और  पंचायत चुनाव में ग्लैमर का तड़का लगाने बालीवुड से जौनपुर पहुंचीं मॉडल और अभिनेत्री दीक्षा सिंह को  मायूसी ही हाथ लगी।  राजनीति की पाठशाला से बेहद दूर रहने वाली अभिनेत्री दीक्षा सिंह को आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद करारी हार का स्वाद चखना पड़ा। 
जिला पंचायत सदस्य पद के लिए मैदान में उतरीं दीक्षा सिंह पांचवें नंबर पर चली गई हैं। मिस फेमिना रनर रहीं दीक्षा जिले के बक्शा विकास खंड के वार्ड 26 से मैदान में उतरी थीं। यहां से भाजपा नेता स्वर्गीय राजमणि सिंह की भतीजी श्रीमति नगीना सिंह ने जीत दर्ज की है। दीक्षा को केवल 2000 मत मिले। जबकि श्रीमती नगीना सिंह को 7000 से ज्यादा वोट मिले हैं। दूसरे स्थान पर संजू यादव को करीब 5000 वोट मिले हैं। चुनावी मैदान में उतरने के बाद जौनपुर ही नहीं पूरे प्रदेश की नजरें दीक्षा पर लगी थीं। 
तमाम चैनलों और वेबसाइटों पर दीक्षा सिंह का इंटरव्यू छा गया था। उन्होंने पीएम मोदी को अपना आदर्श बताते हुए चुनावी मैदान में उतरने के कारणों का भी खुलासा किया था। कहा था कि अगर जनता  जनार्दन ने इस चुनाव में मौका दिया तो गांव को महानगरों की तर्ज पर हाईटेक सिटी बनाऊंगी। हार के बाद दीक्षा सिंह ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि "जिंदगी की यही रीत है, हार के बाद ही जीत है।"


जौनपुर: पूर्व कैबिनेट मंत्री की छोटी बहू को मिली हार


जौनपुर। यूपी पंचायत चुनाव में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. पारसनाथ यादव की छोटी बहू व लंदन रिटर्न उर्वशी यादव को हार का सामना करना पड़ा।
पूर्वांचल के कद्दावर नेता रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. पारसनाथ यादव की छोटी पुत्रवधू उर्वशी यादव भी बरसठी के वार्ड संख्या 51 से जिला पंचायत सदस्य पद के लिए दावेदारी पेश कर रही थी।
लंदन रिटर्न उर्वशी यादव पंचायत चुनाव को लेकर उत्साहित थी लेकिन वार्ड संख्या 51 से बसपा समर्थित प्रत्याशी प्रीति पाल ने बाजी मार ली। प्रीति पाल ने यह चुनाव 492 वोट से जीता। उर्वशी सिंह यादव को यहां, तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।  
पारसनाथ यादव के बहू की चुनावी हार के बाद जिले के बड़े राजनीतिक लोग आज यह चर्चा खुलकर कर रहे थे कि शायद अगर आज पारसनाथ यादव होते तो इस छोटे से चुनाव में वह बाजी अपने हाथ में जरूर करवा लेते। क्योंकि वह जनता से सीधे जुड़ाव रखने वाले व्यक्तित्व के धनी थे।  गांव के छोटे बड़े चुनाव में वह हमेशा निर्विरोध निर्वाचित होते रहे हैं।

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